Tuesday, February 2, 2010

गोबर नंबर ७

पिछले दिनों आई फ़िल्म 3 IDIots में कई गुण है परंतु कुछ बातें ऐसी है जो मन कसैला करती है. पर उपदेश कुशल बहुतेरे कि तरह आमिर ने अमिताभ से कहा था कि उनकी फ़िल्म ब्लैक बच्चों के प्रति सम्वेदनहीन है और अवचेतन मन को संदेश देती है कि बच्चों को पीटने से वो सुधार जाते है/चीजें सिख जाते है. परन्तु क्या 3 Idiots भी उसी तरह से यह शिक्षा नही देती कि शिक्षक दब्बू होते है? आमिर अंत में वैज्ञानिक निकलते है परंतु अगर शिक्षक ही रहते तो क्या असफल माने जाते? हमारे स्कूल के स्टूडेंट्स शिक्षकों को इज़्ज़त नही देते है, बल्कि उनके लिए भी चतुर कि ही तरह शिक्षक एक ऐसा निरिह प्राणी है जिसे और कही और काम मिल नही पाया , महज 3000-5000 रुपय महीना कि तनख्वाह पाने वाले वोह शिक्षक तो पुजनिय है, जो समाजा कि सेवा कर रहा है. वैसे भी हमारे यहाँ शिक्षक बनने के लिए कोई विशेष योग्यता नही चाहिए कोई भी रास्ते चलता शिक्शक बन जाता है, केवल कुछ ही लोग ऐसे होते है जो अपनी धुन कि वजह से यह पेशा चुनते है.
आमिर को आजकल समाज को शिक्षा देने वाली फिल्में बनाने का भूत चढ़ा हुआ है सुनते है कि अगली फिल्म वो विकलांगों पर बनाने जा रहे है, क्या वोह शिक्शको के जीवन पर फ़िल्म बनायेंगे? आख़िर समाज उनके बीना चल नही सकता, तो उन्हें उनका सम्मान देने से जिझक्ता क्यों है?

(जब मेने यह ब्लॉग शुरू किया था तो पता नहीं था की कोई मुझे सुनने भी आएगा, विशेषतया तब जब नाम ही Bullshit और गोबर हो। पर जब बंद करने की बारी आई तो, डर सा लग रहा था कम से कम ७ लोग पढेंगे और जब गुस्सा ही नहीं रहा तो लेखनी में शायद वोह बात न रहे जिसे पढ़ने के लिये ये लोग यहाँ आते थे। आज ब्लॉग पर बहुत दिनों बाद लौटा, शायद अब कोई बचा नहीं होंगा मेरे ब्लॉग में रूचि रखने वाला, तो अब कोई डर नहीं । (अंतिम पोस्ट))

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